मुंबई की एक विशेष अदालत ने निलंबित पुलिसकर्मी द्वारा अपराध में इस्तेमाल किए गए एसयूवी को वापस पुलिस को लौटाने का आदेश दिया है। यह एसयूवी पिछले साल एक अपहरण और लूट के मामले में इस्तेमाल की गई थी, जिसके बाद इसे जब्त कर लिया गया था।
मुंबई पुलिस ने की थी वाहन लौटाने की अपील
मुंबई पुलिस ने इस एसयूवी की वापसी को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था। पुलिस ने अदालत में तर्क दिया कि शहर में वीआईपी सुरक्षा के लिए वाहनों की कमी हो रही है। इसके अलावा, पुलिस ने अदालत में यह भी कहा कि उनके पास शहर में वीआईपी सुरक्षा व्यवस्था के लिए पर्याप्त वाहनों का इंतजाम नहीं है, जिससे सुरक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। इसके बाद, अदालत के विशेष न्यायाधीश बीडी शेलके ने पुलिस को यह वाहन अस्थायी रूप से लौटाने का आदेश दिया। हालांकि, इसके लिए पुलिस को 10 लाख रुपये का बीमा बंधन (इंडेम्निटी बॉन्ड) भरने का निर्देश दिया गया।
पुलिस को भरने होंगे क्षतिपूर्ति बांड
सुनवाई के दौरान, अदालत ने कहा कि यदि वाहन को जांच अधिकारी की हिरासत में रखा गया तो वह खराब हो सकता है, जिससे सरकार को नुकसान हो सकता है। इसके बाद, अदालत ने आदेश दिया कि पुलिस को 10 लाख रुपये का क्षतिपूर्ति बांड भरने पर एसयूवी को अस्थायी रूप से वापस किया जाए। अदालत ने इसके बाद, इस वाहन को अस्थायी रूप से अतिरिक्त पुलिस आयुक्त सचिन बाधे को सौंपने का निर्णय लिया।
एक नजर पूरे मामले पर
यह मामला पिछले साल का है, जब निलंबित कांस्टेबल बाबासाहेब भागवत और उनके साथियों ने मई में मैसूर कैफे के मालिक नरेश नायक के घर में घुसकर उन्हें धमकाया और 72 लाख रुपये नकद और कुछ सोने के सिक्के लूट लिए थे। इसके बाद, पुलिस ने इस वाहन को जब्त कर लिया था।