30 C
Mumbai
Sunday, May 5, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

जानें क्या है अंतर ब्लैक और व्हाइट फंगस के लक्षणों में

जानें क्या है अंतर, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. ये दोनों ही बीमारियां कोरोना से ज्यादा जानलेवा मानी जा रही हैं. भले ही कई राज्यों में ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया है, मगर व्हाइट फंगस भी किसी महामारी से कम नहीं है. आइये जानते हैं कि आखिर ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस में क्या अंतर है? और व्हाइट फंगस ब्लैक फंगस से कितनाज़्यादा खतरनाक है?

पटना के कंसल्टेंट एनेस्थिसियोलॉजिस्ट डॉक्टर शरद बताते हैं कि “कई जगहों पर व्हाइट फंगस के मामले सामने आए हैं और ये शायद कैनडिडा की बात कर रहे हैं. कैनडिडा पहले भी होता था. कैंसर, डायबिटीज की दवा लेने या स्टेरॉयड की वजह से जिनकी भी इम्युनिटी घटती है, ऐसे लोगों में फंगल इन्फेक्शन होने का खतरा ज्यादा रहता है. व्हाइट फंगस का इलाज आसानी से हो जाता है. फिर भी लोगों को सजग रहने की जरूरत है.”

निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें

जानें क्या है अंतर

अभी तक जो पता चला है उस हिसाब से ब्लैक फंगस कोरोना के उन मरीजों में पाया गया है जिनको बहुत ज्यादा स्टेरॉयड दिए गए, जबकि व्हाइट फंगस के केस उन मरीजों में भी संभव है जिन्हें कोरोना नहीं हुआ. ब्लैक फंगस आंख और ब्रेन को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, जबकि व्हाइट फंगस आसानी से लंग्स, किडनी, आंत, पेट और नाखूनों को प्रभावित करता है. इसके अलावा ब्लैक फंगस ज्यादा डेथ रेट के लिए जाना जाता है. इस बीमारी में डेथ रेट 50% के आसपास है. लेकिन व्हाइट फंगस में डेथ रेट को लेकर अभी तक कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है.

अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

डॉक्टर कहते हैं कि व्हाइट फंगस एक आम फंगस है जो कोरोना महामारी से पहले भी लोगों को होता था. वाराणसी के विट्रो रेटिना सर्जन डॉ. क्षितिज आदित्य बताते हैं कि “ये कोई नई बीमारी नहीं है. क्योंकि जिन लोगों की इम्युनिटी बहुत ज्यादा कम होती है, उनमें ऐसी बीमारी हो सकती है. ब्लैक फंगस यानी म्युकरमाइकोसिस एक अलग प्रजाति का फंगस है, लेकिन ये भी ऐसे ही मरीजों को हो रहा है जिनकी इम्युनिटी कम है. ब्लैक फंगस नाक से शरीर में आता है और आंख और ब्रेन को प्रभावित कर रहा है. लेकिन व्हाइट फंगस यानी कैनडिडा अगर एक बार खून में आ जाए तो वो खून के जरिए ब्रेन, हार्ट, किडनी, हड्डियों समेत सभी अंगों में फैल सकता है. इसलिए ये काफी खतरनाक फंगस माना जाता है.”

‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘नागरिक पत्रकारिता’ का हिस्सा बनने के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

व्हाइट फंगस इस बीमारी का इलाज भी अलग होता है. इसे व्हाइट फंगस इसलिए कहते हैं क्योंकि जब इसे डिटेक्ट करने के लिए टेस्ट करते हैं तो इसमें व्हाइट कलर का ग्रोथ देखा जाता है. ब्लैक फंगस की तरह व्हाइट फंगस भी कहीं भी हो सकता है, लेकिन इसका इलाज अलग है.तेज़ी से फ़ैल सकता है वाइट फंगस
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि व्हाइट फंगस के केस में अच्छे स्किन स्पेशलिस्ट से सलाह लेकर इस बीमारी से ठीक हुआ जा सकता है. व्हाइट फंगस के अभी तक ज्यादा मामले सामने नहीं आए हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्लैक फंगस की तरह ही ये भी ज्यादा तेजी से फैल सकता है.

Latest news

ना ही पक्ष ना ही विपक्ष, जनता के सवाल सबके समक्ष

spot_img
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Translate »