ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर बातचीत का दूसरा दौर शनिवार को इटली की राजधानी रोम में संपन्न हुआ। बातचीत के बाद दोनों देशों की ओर से इस बार थोड़ी सकारात्मकता दिखाई दी। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने मामले में बताया कि कुछ मुद्दों पर सिद्धांत रूप में सहमति बनी है और आगे बढ़ने की उम्मीद है। बता दें कि यह वार्ता पिछले हफ्ते ओमान की राजधानी मस्कट में हुई पहली बैठक के बाद हुई। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने की, जबकि ईरान की ओर से अब्बास अरागची शामिल हुए।
चार घंटे चली इस बैठक के बाद अरागची ने कहा कि बातचीत में कुछ बुनियादी मुद्दों पर सहमति बन रही है। साथ ही यह भी बताया गया कि तकनीकी विशेषज्ञों की बातचीत बुधवार से शुरू होगी, जबकि तीसरे दौर की वार्ता अगले शनिवार मस्कट में होगी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ओमान ने एक बार फिर मध्यस्थ की भूमिका निभाई और दोनों पक्ष सीधे आमने-सामने नहीं बैठे। बल्कि वे अलग-अलग कमरों में बैठकर ओमान के विदेश मंत्री बद्र बिन हमद अल बुसैदी के जरिए बातचीत करते रहे।
स्टीव विटकॉफ ने दी जानकारी
इस वार्ता को लेकर अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि किसी भी समझौते का मकसद मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता लाना होना चाहिए। साथ ही यह राष्ट्रपति ट्रंप के नजरिए के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि ईरान को अपने परमाणु हथियार बनाने की किसी भी योजना को पूरी तरह बंद करना होगा। इस बीच इस्राइल ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि वह ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए किसी भी हद तक जाएगा।
ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर विवाद के कारण पर प्रकाश डाले तो अमेरिका चाहता है कि ईरान अपने अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन बंद करे, क्योंकि उसे शक है कि इसका इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने में किया जा सकता है। दूसरी ओर ईरान का कहना है कि उसे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए यूरेनियम संवर्धन का अधिकार है। लेकिन वह मानता है कि उसकी अर्थव्यवस्था पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाने के लिए वह कुछ समझौते करने को तैयार है।