बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, क्योंकि राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार की प्रक्रिया अचानक शुरू हो गई है। इसका मुख्य कारण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप कुमार जायसवाल का इस्तीफा है, जिन्होंने हाल ही में अपने पद से त्यागपत्र दिया है। इस घटनाक्रम के बाद, मंत्रिमंडल में नए मंत्रियों की संख्या और उनके चयन को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं।
कितने मंत्री बन सकते हैं?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(1A) के अनुसार, किसी राज्य के मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या राज्य की विधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या के 15% से अधिक नहीं हो सकती। बिहार विधान सभा में कुल 243 सदस्य हैं, इसलिए अधिकतम 36 मंत्री (243 का 15%) बनाए जा सकते हैं। वर्तमान में, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित मंत्रिपरिषद में कुल 30 मंत्री हैं, अर्थात् अभी भी 6 मंत्री पद रिक्त हैं।
जदयू और भाजपा की मांगें
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) दो मंत्रिपदों की मांग कर रही है, जबकि भाजपा की ओर से सात नाम प्रस्तावित किए गए हैं। हालांकि, चूंकि केवल 6 पद ही शेष हैं, इसलिए दोनों दलों के बीच मंत्रिपदों के बंटवारे को लेकर बातचीत जारी है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का इस्तीफा और संभावित फेरबदल
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप कुमार जायसवाल ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें और तेज हो गई हैं। ऐसी संभावना है कि भाजपा अपने कोटे से नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहती है, जबकि जदयू भी अपने हिस्से के लिए प्रयासरत है।
आगामी कदम
मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख अभी तक आधिकारिक रूप से घोषित नहीं की गई है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह प्रक्रिया जल्द ही पूरी की जाएगी। इस बीच, दोनों दलों के शीर्ष नेता मंत्रिपदों के बंटवारे और संभावित उम्मीदवारों के नामों पर मंथन कर रहे हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी दिनों में बिहार की राजनीति में क्या परिवर्तन होते हैं और किस प्रकार से मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाता है।